श्रीराम कथा के 8 दिन ब्रम्हर्षि महेश जी महाराज ने किया 108 कन्याओ का पूजन
भगवान राम वनवास की कथा प्रसंग सुन भावविभोर हुए श्रद्धालु
झारखंड सवेरा यूपी
सिंगरौली : बस स्टैंड मोरवा के समीप स्थित शिव मन्दिर प्रांगण में 29 जुलाई से चल रहे शिवशक्ति महायज्ञ एवं श्री रामकथा के 8 वे दिन मंगलवार को ब्रम्हर्षि महेश जी महाराज द्वारा 108 कन्याओ को तिलक लगाकर पूजन एवं भोजन कराया गया। इस मौके पर कई भक्तो ने भी कन्याओ को पूजन एवं दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया। याज्ञिक कार्य क्रम में बड़ी संख्या में श्रद्वालु पहुंचकर यज्ञ भगवान की परिक्रमा तथा आरती में भी बड़ी संख्या में श्रद्वालु शामिल हो रहे है। शिव शक्ति महायज्ञ के संचालक तीर्थ राज प्रयाग निवासी आचार्य ब्रम्हर्षि महेश जी महाराज के तत्वाधान में ओरक्षा निवासी संध्या देवी के द्वारा रामकथा श्रद्वालुओं को प्रेरणा दे रहा। अर्न्तराष्ट्रीय कथा वाचिका मानस मोहिनी संध्या देवी ने 8वें दिन श्रीराम के वनवास की कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्वालु भाव विभोर हो गए। संध्या देवी ने श्री रामकथा श्रवण कराते हुए कहा कि राम के वनवास में में माता कैकेई की भूमिका अहम था। कैकेई ने भगवान राज्याभिषेक के पूर्व संध्या पर राजगछदी से वंचति होने के कारण रमाअपनी समर्पित पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के लिए वनवास पर चले जाते है। कैकेयी की दासी मंथरा ने कैक्ेयी को अपने दो वरदानो का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। एक बार दशरथ की पत्नी कैकेयी राजा दशरथ की तीन रानियों में से एक थीं और भरत की माता थीं। एक बार, जब राजा दशरथ देव-दानव युद्ध में देवताओं की सहायता कर रहे थे, कैकेयी भी उनके साथ थीं। युद्ध के दौरान, दशरथ के रथ का पहिया टूट गया, और कैकेयी ने उसे अपनी उंगली से रोककर दशरथ के प्राण बचाए। इसके बाद, दशरथ ने उन्हें दो वरदान मांगने के लिए कहा, जिन्हें कैकेयी ने बाद में मांगने के लिए रख लिया.। जब राम को युवराज बनाने की बात चली, तो मंथरा नामक दासी ने कैकेयी को भड़काया कि वह अपने वरदानों का उपयोग राम को वनवास भेजने और भरत को राजा बनाने के लिए करे। कैकेयी ने दशरथ से राम के लिए 14 वर्ष का वनवास और भरत के लिए राजगद्दी मांगी, जिससे राम को वनवास जाना पड़ा। भरत ने अपनी माता के इस कृत्य का विरोध किया और राम को वापस लाने के लिए वन गए। कैकेयी को एक शक्तिशाली और महत्वाकांक्षी महिला के रूप में चित्रित किया गया है, जिन्होंने अपने वरदानों का उपयोग करके अपने बेटे के लिए राज्य प्राप्त करने का प्रयास किया.। दोस देई जननी जड़ तेई जो जनु साधु सभा नही सेई श्री राम भरत का संवाद हुआ। 6 अगस्त को यज्ञ भगवान की पूर्णहूति, आचार्य विद्वानो की विदाई एवं 7 अगसत को विशाल भण्डारा एवं प्रसाद वितरण का कार्यक्रम आयोजन किया जायेगा। इस कार्यक्रम पं. धीरेन्द्र जी महाराज प्रयागराज यज्ञाचार्य एवं पं. चन्द्र मणि शास्त्री जी महाराज उपचार्य तथा पं. रामाज्ञा शास्त्री ऋषिकेश पं अरूण शास्त्री द्वारा अपने भजन भक्तो को मंत्रमुग्ध कर रहे है।
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