मानव धर्मशास्त्र यथार्थ गीता करें शिरोधार्य, मानव जीवन का सृजन कर्ता सद्गुरु :  स्वामी श्रद्धा बाबा

मानव धर्मशास्त्र यथार्थ गीता करें शिरोधार्य, मानव जीवन का सृजन कर्ता सद्गुरु :  स्वामी श्रद्धा बाबा

झारखंड सवेरा यूपी 

सोनभद्र, मिर्जापुर/उत्तर प्रदेश ; “बिनु गुरु भव निधि – तरैं न कोई, जो बिरचिं शंकर सम होई” जिस मनुष्य के जीवन में सद्गुरु उपलब्ध नहीं है वह अपने आप को मनुष्य नहीं कह सकता क्योंकि गोस्वामी ने कहा कि बिना सींग, पूंछ का वह पशु है सद्गुरु बोलने, बैठने, समाज में जीने से लेकर ईश्वर प्राप्ति तक की विधि अपने शिष्य को बताते है। और उसे मन को बस कराके मनुष्य बनाते है, अर्थात दो हाथ, पैर, मुंह होना मनुष्य की पहचान नहीं, बल्कि जिसका भजन किए, गुरु के बताए मार्ग पर चलकर मन बस में हो जाए, वही मनुष्य है।

उक्त बातें अपने सत्संग में स्वामी श्रद्धा बाबा ने भक्तों के समक्ष कहा:- स्वामी श्रद्धा बाबा ने बताया कि अपने जीवन में गुरु अवश्य बनाएं लेकिन किसी गुरु सद्गुरु की टाइटल लगाने वालों को नहीं, बल्कि जिन महापुरुष ने अपना अज्ञान दूर कर लिया हो उस ऐसे महापुरुष जो अभी हमारे योगेश्वर महाप्रभु सदगुरुदेव भगवान स्वामी अड़गड़ानंद महाराज हैं। स्वामी श्रद्धा बाबा ने कहा की साधना के शुरुआती दौर में आप गीता, रामायण को गुरु बनाएं और गीता, रामायण पढ़ने से पूण्य बढ़ेगा फिर गुरु भगवान ढूंढ के दे देंगे, जैसे हमारे दादा गुरु महाराज को सत्संगी महाराज मिले, महाराज ने सभी श्रद्धालुओं से अपील किया कि यथार्थ गीता आप सभी लोगों में पहुंचाएं, माला फूल के बजाय यथार्थ गीता भेंट करें।

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