महुली रामलीला : शबरी की भक्ति से लेकर लंका दहन तक, हर दृश्य ने भक्ति और पराक्रम से भर दिया वातावरण

महुली,सोनभद्र
विंढमगंज थाना क्षेत्र के श्री राजा बरियार शाह खेल मैदान, महुली में चल रहे श्रीरामलीला महोत्सव का नौवां दिन भक्तिरस और पराक्रम की अद्भुत झांकी लेकर आया। मंचन की शुरुआत छठी मईया की झांकी से हुई, जिसने श्रद्धालुओं को भक्ति सागर में डुबो दिया।
शबरी की भक्ति ने किया भावविभोर
रामलीला का पहला प्रसंग शबरी आश्रम का रहा। वृद्धा शबरी ने प्रभु श्रीराम को जूठे बेर अर्पित किए और जब श्रीराम ने उन्हें स्नेहपूर्वक ग्रहण किया तो दर्शकों की आंखें भर आईं। लोग कहते सुने गए कि यह दृश्य जीवनभर की आस्था को जगाने वाला है।
राम–सुग्रीव मित्रता और बाली वध
इसके बाद मंचन में राम और सुग्रीव की मित्रता का दृश्य प्रस्तुत हुआ। दोनों का जीवनपर्यंत साथ निभाने का वचन लेते ही मैदान जयकारों से गूंज उठा। तत्पश्चात हुआ बाली वध, जिसमें धर्म की स्थापना के लिए बाली का अंत कर सुग्रीव को किष्किंधा का राजा बनाया गया। इस क्षण पर दर्शक रोमांच से भर उठे।
अक्षय कुमार का पराजय
फिर प्रस्तुत हुआ अक्षय कुमार वध का प्रसंग। हनुमान जी के पराक्रम से रावण का पुत्र रणभूमि में धराशायी हो गया। इस दृश्य पर तालियों और जयघोष से पूरा माहौल गुंजायमान हो उठा।
मेघनाद ने किया हनुमान को बंदी
इसके बाद का दृश्य था मेघनाद द्वारा हनुमान को नागपाश में बांधकर रावण दरबार में लाना। बंधन में बंधे हनुमान जी का अडिग स्वरूप देखकर दर्शक अभिभूत हो गए। लोग इस अद्भुत साहसिक दृश्य को कैमरों में कैद करने के लिए आतुर दिखे।
लंका दहन का चरम दृश्य
रामलीला का सबसे उत्कर्ष क्षण रहा लंका दहन। जब हनुमान जी ने अपनी पूंछ में अग्नि लगाकर लंका की गलियों और महलों को जलाया तो मानो पूरा मैदान जलते लंका के दृश्य से थर्रा उठा। हजारों दर्शकों की जुबान पर एक ही स्वर था – “जय बजरंगबली, जय श्रीराम”।
दर्शकों की भावनाएँ
इस दिव्य मंचन को देखने उमड़ी अपार भीड़ हर दृश्य पर मंत्रमुग्ध रही। कई दर्शकों की आंखों से आंसू बह निकले, तो कई रोमांच से खड़े होकर बार-बार जयकारे लगाने लगे। पूरा मैदान मानो त्रेतायुग की पुनरावृत्ति का साक्षी बन गया हो।इस अवसर पर रामलीला समिति के समस्त पदाधिकारी मौजूद रहे और उनके संयोजन से यह भव्य आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।अंत में रामलीला मंडली के व्यास दिलीप कुमार कन्नौजिया ने बताया कि अगले दिन का मंचन अंगद–रावण संवाद एवं विभीषण शरणागत प्रसंग होगा।







