तबादले के विरोध में प्रमुख के नेतृत्व में 11 को पंचायत प्रतिनिधियों की बैठक
आशुतोष, विशुनपुरा
विधुनपुरा : प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा नियम विरुद्ध किए जा रहे निरंतर पंचायत कर्मियों के तबादले और कार्य के खिलाफ प्रखंड हित में आगामी 11 अगस्त को प्रखंड कार्यालय के सभागार में आयोजित बैठक में ब्लॉक प्रमुख दीपा कुमारी के नेतृत्व में प्रखंड के सभी पंचायत जनप्रतिनिधि काला पट्टी बांधकर होंगे शामिल और 12 अगस्त को सौंपेंगे उपायुक्त को ज्ञापन ।
1) झारखंड पंचायती राज अधिनिय 2001 के धारा 76 के खंड xxxii( म) के तहत पंचायत कर्मियों पर सीधा नियंत्रण का अधिकार पंचायत समिति को है ।
2) झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के पत्र जिसका ज्ञापांक 1676 दिनांक 14-12-2023 और गढ़वा उप विकास आयुक्त द्वारा जारी पत्र जिसका ज्ञापांक 1428 और दिनांक15-12-2023
के तहत स्पष्ट किया गया है कि मनरेगा कर्मी के रहते दूसरे विभाग के कर्मी से मनरेगा का काम लिया जाना नियम संगत के विरुद्ध है ।
3) प्रखंड अंतर्गत कार्यरत प्रखंड स्तरीय संस्था के पदाधिकारी /प्रभारी का अवकाश प्रमुख से और पंचायत अंतर्गत कार्यरत पंचायत स्तरीय कर्मियों संस्था के प्रभारी की अवकाश की अंतिम स्वीकृति मुखिया से निर्गत किए जाने का प्रावधान है ।
4)पंचायत समिति की आहूत बैठक में लिए गए प्रस्तावों से जुड़े प्रावधानों को यथाशीघ्र संबंधित विभागों को प्रेषित किए जाने का प्रावधान है ताकि उसका अनुपालन करते हुए सबंधित विभाग पंचायत समिति की आगामी बैठक में अपना प्रतिवेदन समर्पित कर सके ।
परंतु समस्या यह है कि (संबंधित उपरोक्त विंदुवार )
1) झारखंड पंचायती राज अधिनियम 2001 का अनुपालन नहीं किया जा रहा है ।पंचायत कर्मियों का स्थानांतरण बिना पंचायत समिति के बैठक में प्रस्ताव लाए उस पर बिना चर्चा किए मनमाने तरीके से किया जा रहा है ।इससे प्रखंड का विकास कार्य बाधित हो रहा है ।उदाहरण -: पंचायत कर्मी के ऊपर बिना किसी जन शिकायत के उसके 6 महीने के कार्य अवधि में ही बीडीओ द्वारा अपने 2 महीने के कार्य अवधि के दौरान तबादला कर देना ।
जबकि हद तो यह है कि मनरेगा जे ई रणधीर कुमार को ब्लॉक ज्वाइन किए लगभग महीनों बीतने को चले और अब तक कोई पंचायत नहीं दिया गया न इसपर चर्चा की गई जबकि तीन पंचायत में किसी जे ई को मनरेगा का प्रभार न दिए जाने के कारण पीएम आवास और अबुआ आवास के लेबर डिमांड जीरो हो रहे है बीडीओ का इस प्रकार का कृत साबित करता है कि तबादला सिर्फ पैसों पर किया जा रहा है।
2)झारखंड सरकार और गढ़वा के उप विकास आयुक्त के लिखित निर्देशों को निरंतर दरकिनार कर बीडीओ द्वारा मनरेगा कर्मी के रहते दूसरे विभाग के कर्मी द्वारा निरंतर काम लिया जाना साबित करता है कि बीडीओ को जन संतुष्टि और जन सरोकार से मतलब नहीं है अपितु उनका अपना हित सर्वोपरि है। फिर सरकार की निर्देशों की क्या?
3)आज तक किसी विभाग के कर्मी /पदाधिकारी के द्वारा न प्रमुख से न मुखिया से कोई अवकाश की मांग की गई न इसकी सूचना दी गई फिर भी अवकाश निर्गत होते रह रही है हद तो यह है कि जो बीडीओ के चहेते है उनको वे 6 महीने में सरकारी अवकाश के अलावे 2 महीने की अवकाश मिल रही है और जिनका नहीं बीडीओ से नहीं बनता उनको 4 दिन का अवकाश के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता है ।फिर सरकार की गाइडलाइन की क्या ?
4)पंचायत समिति की आहूत बैठक का प्रोसिडिंग अगर समय पर संबंधित विभागों को नहीं भेजा जा पा रहा है तो उससे होने वाले विकास कार्य पर असर जैसे नियोजित बाजार का प्रबंध की समस्या , सड़क निर्माण की समस्या ,ऑटो स्टैंड/बस स्टैंड निर्माण की समस्या ,सब्जी मंडी की समस्या उच्च विद्यालय की मैदान अतिक्रमण की समस्या का निराकरण हेतु पंचायत समिति के बैठक में प्रस्ताव लिए जा चुके है बीडीओ की उदासीनता के कारण सब कार्य अधर में है । फिर पंचायत समिति की बैठक की क्या ?
उपरोक्त विषय के संबंध में काला पट्टी बांध कर विरोध प्रदर्शन के माध्यम से मूल मांग यह कि प्रखंड में
# अब तक बीडीओ द्वारा किए गए मनमानी ढंग और प्रशासनिक मूल्यों के विरुद्ध कार्यों की नियम संगत जांच हो ।
# पंचायती राज अधिनयम 2001 के धारा 76 के खंड xxxii(म)
को विस्तृत रूप से परिभाषित किया जाए।
# पंचायती राज अधिनयम के तहत पंचायत जनप्रतिनिधि को प्रदत शक्तियों का सम्मान हो
#पंचायत कर्मियों का स्थानांतरण पंचायत समिति की बैठक से सुनिश्चित हो
# कर्मियों /पदाधिकारियों की अंतिम अवकाश की स्वीकृति समकक्ष पंचायत जन प्रतिनिधि से सुनिश्चित हो।