रमना में अज्ञात वाहन की चपेट में आकर दो लकड़बग्घों की मौत
झारखंड सवेरा
रमना : शनिवार को सिलीदाग पंचायत के दूधवनिया ग्राम में रमना सोनेहारा मुख्य पथ पर इमली पेड़ के पास अज्ञात वाहन के चपेट में आने से दो धारीदार लकड़बग्घा की मौत हो गयी इस घटना की सुचना पाकर विलुप्त होते इस जानवर को देखने के लिए अगल-बगल के ग्रामीणों की ताता लगा रहा ज़ब तक की वन विभाग के गढ़वा वनक्षेत्र के सब बिट जिरुआ पीएफ चुंदी के वनरक्षि सचिन कुमार सिंह के द्वारा मृत जानवर को जेसीबी के द्वारा जमीन में गाड़ नहीं दिया गया। पूर्वजों ने जानवरो के हर प्रजाति को देखा लेकिन आज हमलोग जानवरो को चिड़िया घर में ही देख पाते हैं। अब तो जानवरो के नाम केवल किताबों में ही बचे हैं जंगलो में तो न जंगल हैं न वन्यजीव।प्रकृति ने जीवन चक्र बनाया जिसमे हर प्रकार के जीव जंन्तु एक दूसरे पर निर्भर हैं,लेकिन आज जीवन चक्र भी प्रभावित हो रहा हैं।इस क्षेत्र में बसंत ऋतू के महीने में गत वर्ष भी ग्रामीणों के बकरियों और छोटे बछडो का शिकार किया गया था जिससे लोगो को संदेह था की यह काम किसी लकड़बग्घा का ही है लेकिन किसी ने नहीं देख पाया था।सड़क के बीचो-बिच गाड़ी द्वारा कुचले गये उक्त लकड़बग्घा के मृत्यु के बारे में ग्रामीणों ने बताया की तालाब किनारे गत दिन पूर्व ही एक मृत कुत्ता को फेका गया था, शायद इसका गंध सूंघकर उक्त जानवर आये होंगे क्योंकि इस जानवर का पसंदीदा भोजन कुत्ता का मांस ही हैं। इस जानवर को “मैला ढोने वाला कहा जाता है”क्योंकि यह जानवर मृत जानवर का मांस खाना ही पसंद करता हैं और इसकी पाचन क्रिया बहुत मजबूत होता हैं जिससे यह जानवरो के हड्डीयों को भी चट कर जाता है।विलुप्त होते इस धारीदार लकड़बग्घा को 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित किया गया हैं।इस घटना के बारे में ग्रामीणों में यह चर्चा हैं की इस नर- मादा लकड़बग्घा को अवैध बालू ढूलाई कर रहे वाहन ने केच कर मार डाला और भाग गया। इस क्षेत्र में शाम होते ही अवैध बालू कारोबार बड़े पैमाने पर होता हैं जो पूरी रात चलता है।इस घटना के सम्बन्ध में वनपाल नीरज कुमार बताये की उक्त जानवर संरक्षित नहीं हैं,इस घटना की सुचना हम वरीय अधिकारी को देंगे। जानवर के अंत्यपरीक्षण के बारे में उन्होंने बताया की फोटो के द्वारा इसका अंत्यपरीक्षण किया जायेगा।