सेवाविमुक्त चौकीदारो के समक्ष आर्थिक तंगी से बढ़ी बदहाली

सेवाविमुक्त चौकीदारो के समक्ष आर्थिक तंगी से बढ़ी बदहाली

रमना से उमेश कुमार की रिपोर्ट 

झारखंड सवेरा 

रमना :-झारखण्ड राज्य में 4-10 वर्षो तक चौकीदार के पद पर कार्य करने के बाद माननीय न्यायालय का हवाला देकर झारखण्ड राज्य में वर्ष 2016 में कुल 528 सेवाबर्खास्त चौकीदार बदहाली कि जिंदगी जीने को विवश है,आज उक्त सभी लोग आर्थिक तंगी के कारण दर-दर भटक रहे है पर कोई भी इनकी सुनने को तैयार नहीं। आज परिस्थिति ऐसी हो गयी है कि यें सभी न घर के है और न घाट के!इस बढ़ती महंगाई और ऐसे समय में बर्खास्त किये गये कि इनकी हालत “धोबी के कुत्ते जैसा हो गया है ” यें मुहवारा बर्खास्त चौकीदारों कि स्थिति स्पष्ट करती है, आज इनको परिवार का भरण-पोषण करना दुर्लभ हो गया है।सेवा बर्खास्त चौकीदार आज समय के ऐसे पड़ाव पर है, जहां आगे गढ़ा पीछे खाई है न तो आगे जा सकते है और न पीछे।इनकी घर कि आर्थिक स्थिति दयनीय हो गया है इनके पास जो बचा-खुचा था वह भी केस और नेताजी से मदद मांगने में चला गया। जहां वकील साहब और नेताजी नें झूठे दिलासा देकर धन शोधन करते रहे लेकिन परिणाम इनके विपरीत ही है।चौकीदारों कि नियुक्ति गृह विभाग पटना का पत्रांक-11287तिथि 20/12/1995, गृह विभाग राँची का पत्रांक -3472 तिथि 2/9/2009 एवं झारखण्ड सरकार के प्रधान सचिव गृह विभाग राँची का पत्रांक -4504 तिथि 21/07/2010 में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 1/1/1990के बाद सेवानिवृत चौकीदार के नामित आश्रितो को एक बार मौका दिया जाय, इसी आदेश के आलोक में एक बार सेवा निवृत चौकीदारों के आश्रितो कि नियुक्ति हुयी थी,’ जो 2 से 6 वर्षो तक सेवा दे चुके हैं जिन्हे वंशवादी का हवाला देकर हटा दिया गया है।सेवामुक्त चौकीदारों का कहना है कि जिस दिन हमारे पूर्वज गुलामों कि तरह थानो में बिना किसी मजदूरी के काम करते थे और गाँव कि हर घटना कि जानकारी देते थे और जिसके बदले में किसी प्रकार का कोई वेतन नहीं था। खरवन (भीख ) मांग कर अपने परिवार का पालन- पोषण करते थे। आज भी बिहार झारखण्ड को छोड़ कर देश के किसी भी राज्य में चौकीदार को सरकारी सेवक का दर्जा नहीं है, और वें लोग आज भी बदहाली की जिंदगी जीने को विवश हैं।झारखण्ड राज्य अलग होने से पहले संयुक्त बिहार के चौकीदारों नें सपरिवार सरकारीकरण के लिए संघर्ष किया और लम्बी आंदोलन के बाद चौकीदार आंदोलन से बाध्य होकर तत्कालीन बिहार सरकार बाध्य होकर 1990 इसवीं में चौकीदारों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया, लेकिन सरकारी मान्यता होने के बाद वैसे चौकीदारों को कोई लाभ नहीं मिल पाया जिनका सेवा उम्र पूर्ण होनें वाला था और वे सरकारी होने के एक माह या एक वर्ष बाद ही सेवानिवृत होने वाले थे,’इस परिस्थिति को देखते हुए पत्रांक -11287तिथि 20/12/1995 गृह सचिव राजबाला बर्मा के समय यह आदेश दिया गया कि 1990 के बाद सेवानिवृत होने वाले सभी चौकीदारो के आश्रितो को एक बार मौका दिया जायेगा। इसी के आलोक में सेवानिवृत चौकीदारों के आश्रितो को बहाल किया गया, दूसरा बार किसी कि बहाली नहीं हुई है। फिर भी वंशवादी कहकर सभी को हटा दिया गया।वर्ष 2016 के बाद से ही बर्खास्त चौकीदार बर्खास्तगी के विरुद्ध संघर्ष कर रहे है, लेकिन बार-बार सरकार के प्रतिनिधि द्वारा आश्वासन के सिवा कुछ भी नहीं मिल रहा।सेवा विमुक्त चौकीदार आशुतोष कुमार बोले की ज़ब अंग्रेजी शासन में और देश आजाद होने के बाद करीब 45 वर्षो तक चौकीदार केवल ग्रामीणों के रहमो करम पर जीवन यापन कर रहे थे और बिहार-झारखण्ड को छोड़ कर देश के किसी भी राज्य में कार्यरत चौकीदार आज भी गुलामों की तरह काम कर रहे हैं उस पर माननीय न्यायालय और जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई भी आवाज़ नहीं उठाया जा रहा हैं। जिससे की उनका भी कल्याण हो जाये हमारे चौकीदार पूर्वजो के द्वारा लम्बी संघर्ष के बाद सरकारिकरण हुआ हमारे पूर्वजों नें संघर्ष के खेत तैयार कर सिंचाई कर बीज बोया फिर अपने खून-पसीने से सिंच कर फलदार और छायादार वृक्ष बनाया ज़ब फल तोड़ने की बारी आयी तो हम वंशवादी हो गये उस दिन कोई भी नागरिक चौकीदारों के बदहाली और संघर्ष में साथ नहीं दिया लेकिन आज हम वंशवादी हो गये।चौकीदार विजय राम नंदेश्वर राम, राजीव कुमार,इंदल राम, देवन कुमार बताये की गत वर्ष राजभवन के पास चौकीदार संघ प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण दयाल सिंह के नेतृत्व में क्रम वध आमरण अनसन किया गया। जिसमें सरकार के तत्कालीन मंत्री आलमगीर आलम के मौखिक आश्वसन की एक माह बाद सरकार इस पर पहल करेगी के बाद अनसन स्थगित किया गया। करीब सात माह बीत गया,लेकिन अभी तक सरकार द्वारा कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया।वहीं पलामू जिला में चौकीदार भर्ती का आवेदन मांग किया गया हैं जिसमें सेवाविमुक्त चौकीदारों के कोई प्रावधान नहीं है इतना ही नहीं इस जिला के लिए अनुसूचित जाति के लिए पद ही शून्य है।आर्थिक तंगी से हमलोगों का जीवन बदहाल हो गया है इस दैनिक समाचार के माध्यम से हम लोग सरकार द्वारा निवेदन करते है की रोजी दे या मृत्यु अब तंगहाली बर्दास्त नहीं होता।

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